सांस्कृतिक विरासत की धरोहर नैहाटी: प्रोफेसर विजय कुमार भारती

सांस्कृतिक विरासत की धरोहर नैहाटी: प्रोफेसर विजय कुमार भारती

नैहाटी, 1 मार्चः उमा फाउंडेशन, नैहाटी एवं हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा के संयुक्त तत्वावधान में एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन नैहाटी के एकतान मंच में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रोफेसर विजय कुमार भारती, कुलपति ,हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा एवं गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित करके किया गया। कार्यक्रम के उद्देश्य पर संस्था के सचिव डॉ. विकास साव ने कहा कि  तीन भाषाओं के आधार पर बंगाल की संस्कृति पर चर्चा अपने आप में ऐतिहासिक है । नैहाटी के विधायक एवं मंत्री श्री पार्थ भौमिक ने शुभकामना संदेश देते हुए कहा कि नैहाटी में आयोजन होना नैहाटी की सामाजिक चेतना एवं सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है। बांग्ला भाषा के प्रोफेसर विश्वजीत कर्मकार ने कहा कि मन के भाव को जानने के लिए भाषा सीखना आवश्यक है। उर्दू भाषा के मर्मज्ञ श्री गुल फ़ीरोज़ ख़ान ने कहा कि  हिंदी और उर्दू में केवल लिपि का अंतर है, नहीं तो दोनों सगी बहनें है। कला एवं साहित्य के क्षेत्र में भाषा का प्रभाव है। उन्होंने कहा कि बंगाल के सरजमीन ने तमाम मुल्क के लोगों को सीने से लगाया।

उत्तर चौबीस परगना के हिंदी प्रकोष्ठ के सभापति श्री अमित गुप्ता ने कहा कि यह कार्यक्रम शिक्षित वर्ग को एक मंच पर लाने की कोशिश है। बंगाल में हर भाषा, धर्म एवं संस्कृति का सम्मान किया गया है। नैहाटी नगरपालिका के पौर प्रधान श्री अशोक चटर्जी ने कहा कि वर्तमान सरकार ने हिंदी को महत्व दिया है। सीआईसी श्री कन्हैया आचार्य ने कहा कि यह कार्यक्रम भाषाई स्तर पर काफी प्रशंसनीय है । संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर डॉ. विजय कुमार भारती, कुलपति, हिंदी विश्वविद्यालय, हावड़ा ने कहा कि बड़ा दिल और बड़ी भावना के साथ इस शीर्षक का चयन किया गया । नैहाटी की धरती सांस्कृतिक विरासत की धरोहर है। उन्होंने कहा कि भाषा अपने साथ कई चीजें लेकर आती है संस्कृति हमारे अंदर अच्छी चीजें पैदा करती है,यही वजह है कि बंगाल में आडम्बर के स्थान पर उत्सवधर्मिता पर बल दिया जाता है। भाषा हमारी संस्कृति का विकास करती है इसलिए अधिक से अधिक भाषा सभी को सीखने की जरूरत है ।तीन भाषा के लोगों को एक ही मंच पर बोलने के लिए बुलाया जाना सचमुच में बेहतर संस्कृति की मिसाल है। कार्यक्रम में सीआईसी,श्री सनत दे,श्री पार्थ प्रतिम दासगुप्ता भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ -साथ नाटक का मंचन भी किया गया।इस संगोष्ठी में प्रो. प्रतीक सिंह,प्रो.मंटू दास,प्रो.संदीप प्रसाद, डॉ.अजित कुमार दास, डॉ. विकास कुमार साव, डॉ. सुनीता मंडल समेत कई शोधार्थयों ने शोध -पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मंटू कुमार साव एवं धन्यवाद ज्ञापन शिक्षक श्री उत्तम ठाकुर ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था के सदस्यों की सक्रिय भूमिका रही।