ईसाइयत के सिमटने संबंधी लेख पर फादर सुनील रोजारियो ने जताई आपत्ति

ईसाइयत के सिमटने संबंधी लेख पर फादर सुनील रोजारियो ने जताई आपत्ति

कोलकाता, 6 जूनः बारासात के एक प्रमुख चर्च के फादर सुनील रोजारियो ने यूरोप में ईसाइयत का सिमटता स्वरूप संबंधी प्रकाशित एक लेख पर कड़ी आपत्ति जताई है। हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन नीदरलैंड की अध्यक्ष प्रो. पुष्पिता अवस्थि का यह लेख ‘’यूरो में ईसाइयत का सिमटता स्वरूप, लोभ और साजिश के शिकार हो रहे हैं चर्च’’ शीर्षक से कोलकाता के प्रतिष्ठित दैनिक छपते छपते में 3 जून को प्रकाशित हुआ है। फादर सुनील रोजारियो ने लेखिका के विचार को निराधार बताते हुए कहा है कि सिर्फ निदरलैंड संपूर्ण यूरोप नहीं है। लेखिक ने नीदरलैण्ड के अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया है जो पूर्णतः सत्य नहीं है।

फादर ने अपने जारी बयान में कहा है कि जहां तक उन्हें मालूम है कि नीदरलैण्ड में मिश्रित सम्प्रदायों मुख्यतः एशियाई, अफ्रिकी व अन्य देशों के विभिन्न प्रान्तों के प्रवासी लोगों का वास है। विगत कुछ दशकों के दौरान नीदरलैंड में जनसांख्यिकी स्तर पर जबरदस्त बदलाव हुआ है।

नीदरलैण्ड पश्चिमोत्तर यूरोप का एक देश है जो अपनी नहरों के समतल भू-संरचना,तुलिप फील्ड, पवन चक्की और सायकलिंग रास्तों के लिए जाना जाता है।  राजधानी एम्स्टर्डम जो रिज्क्सम्यूजियम,वैन गोघ म्यूजियम का घर है और जहाँ पर द्वितीय विश्व युद्ध के समय यहूदी डियारिस्ट ऐनी फ्रैंक छुपे थे। 17वीं शताब्दी में नहरों के किनारे बनी हवेलियाँ और उन पर कलाकारों द्वारा की गई नक्काशी का खजाना आज भी विद्यमान है जो तत्कालीन स्वर्णयुग का याद दिलाता है।

2022 तक नीदरलैण्ड की कुल जनसंख्या बढ.कर 17.59 मिलियन हो गयी थी। 2021 में नीदरलैण्ड में आने वाले सर्वाधिक विदेशी 25,096 अप्रवासी पोलैण्ड से थे। इस दौरान भारत, सिरिया, रोम और जर्मनी से सर्वाधिक अप्रवासी नागरिकों ने नीदरलैंड की ओर प्रस्थान किए। वर्ष 2008 और उसके बाद से  नीदरलैण्ड में अप्रवासियों का संतुलन सकारात्मक था। अर्थात ज्यादातर लोग नए स्थान पर जाने के बजाय यही बस गए। 2021 में  प्रवासीय संतुलन 107,200 था। 2021 में नीदरलैण्ड में प्रवासीय पृष्ठभूमि के लोंगो की संख्या (कोई भी  ऐसा, जिसके माता या पिता में से कोई भी एक विदेश में जन्मा हो के रूप में परिभाषित है) 403 मिलियन से ज्यादा थी जिसमें आधा से अधिक (55%) डच लोग थे। अधिकांश लोगों की उम्र 15 वर्ष थी जो धार्मिक भी नहीं थे। 2020 में 20% डच  जनसंख्या कैथोलिक चर्च से संबंध रखती थी, 14% प्रोटेस्टेन्ट, 5% मुस्लिम और 5% अन्य धार्मिक समूहों से संबंधित थे।

दसवीं और बीसवीं शताब्दी के मध्य तक नीदरलैण्ड में धर्म  ईसाइयत द्वारा ऐतिहासिक रूप से हावी था। 19वीं शताब्दी के अंत तक लगभग 60% जनसंख्या Calvinist और 35% कैथोलिक थी। तब से , दोनो कैथोलिक और प्रोटेस्टेन्ट ईसाई  में महत्वपूर्ण ढंग से  कमी आयी है। Protestantism का ह्नास उस हद तक हुआ कि catholism क्रिस्चियन धर्म के रूप में  अव्वल हो गया। डच जनसंख्या का बहुमत धर्मनिपेक्ष है। अल्पसंख्यक मुसलमानों की बड़ी आबादी भी अस्तित्व में है। आंकड़ो में हिंदुओं का कहीं उल्लेख नही है। भले ही यदि कुछ नीदरलैण्ड गए हो तो उनकी संख्या नगण्य है। मुसलमानों की संख्या बढ़ रही है और  उनके मस्जिद भी कई स्थानों पर बने हैं। फादर सुनील रोजारियो ने कहा है कि नीदरलैण्ड में ईसाइयत को सिमटते रूप में देखने वाली लेखिका को  अपने आंकड़ो को वर्तमान परिपेक्ष्य में संशोधित करना चाहिए।